
Poem for Civilized words for Arguments
Poem for Civilized words for Arguments
Life is too small to and it must be not spent in negetive drama. Live it fully with full energy and positive attitude. Don’t expect back but just give and give whatever you can give. Human life is greatest compliment itself and it is a gift from God.
Negativity will ruin your life and leave only bad footprints. Help always to needy person and give your best.
Rest is assured from God. Trust it and believe in yourself.
Regs
Tej
✍️जातीय व्यवस्था अप्रासंगिक है लेकिन धर्म की व्यवस्था कभी भी अप्रांसगिक नही हो सकती एवं होनी भी नही चाहिए। जातीय अव्यवस्था ने सनातन धर्म एवं संस्कृति को कमजोर किया है। वर्ण व्यवस्था कर्म के यथार्थ स्वरूप को परिलक्षित करती थी जिसने समय उपरांत जातीय व्यवस्था का विकृत स्वरूप ले लिया। और इसी अव्यवस्था ने सनातन धर्म को कमजोर कर दिया।
समग्र इतिहास के संक्षिप्त अवलोकन के आधार पर यह स्वीकार्यता बढ़ती है कि सनातन धर्म का क्षरण जातीय अव्यवस्था की देन है अन्यथा आर्थिक और सामरिक रूप से सिरमौर यह राष्ट्र सदियो तक क्यो गुलामी का दंश झेलता रहा।
फिर भी इतिहास और वर्तमान के तमाम मतभेदों को क्षीण करते हुए सनातन धर्म में आस्था रखने वाले व्यक्ति को सनातन धर्म को पुष्ट करने एवं एकीकृत होने का प्रयास किया जाना चाहिए।
अपनी धार्मिक सभ्यता और सांस्कृतिक आत्मा को जीवित रखने और उसे समृद्ध करने का अर्थ किसी अन्य धार्मिक विचार को क्षरण करना नही है किंतु आज की राजनीतिक विडंबना है कि कुछ छ्द्म धर्मनिरपेक्ष वादी राजनीतिक दल और पत्रकार आपको कुंठित मानसिकता का शिकार और साम्प्रदायिक ठहरा देते है।
यह ठीक वैसे ही है जैसे कि मैं निःसंदेह प्रत्येक व्यक्ति के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूँ लेकिन अपने स्वयं के अच्छे स्वास्थ्य की कामना नही कर सकता!!!
धर्म अस्तित्व की आत्मा है और अगर आत्मा ही न रहे तो अस्तित्व कहाँ बचेगा।
अगर इस देश में छद्म धर्मनिरपेक्षता के नाम पर किसी एक संस्कृति का क्षरण हुआ है तो वो सिर्फ सनातन संस्कृति है। कुछ राजनीतिक और कथित बुद्धिजीवी वर्ग की अपनी महत्वकांक्षी आकांक्षाओं के चलते सनातन धर्म को आतंक के कटघरे तक मे खड़ा किया गया।
समस्त संसार में सनातन धर्म से श्रेष्ठ सहअस्तित्व का विचारदर्शन और परम्परा कही नही मिलती फिर भी गाली सनातन को ही दी जाती है। क्यो?
मैं इस क्यो के साथ अपनी कलम को यही विराम देता हूँ।
इस क्यो? का उत्तर मेरे लेख की प्रस्तावना से ही शुरू होता है।
✍️Tej
✍️जातीय व्यवस्था अप्रासंगिक है लेकिन धर्म की व्यवस्था कभी भी अप्रांसगिक नही हो सकती एवं होनी भी नही चाहिए। जातीय अव्यवस्था ने सनातन धर्म एवं संस्कृति को कमजोर किया है। वर्ण व्यवस्था कर्म के यथार्थ स्वरूप को परिलक्षित करती थी जिसने समय उपरांत जातीय व्यवस्था का विकृत स्वरूप ले लिया। और इसी अव्यवस्था ने सनातन धर्म को कमजोर कर दिया।
समग्र इतिहास के संक्षिप्त अवलोकन के आधार पर यह स्वीकार्यता बढ़ती है कि सनातन धर्म का क्षरण जातीय अव्यवस्था की देन है अन्यथा आर्थिक और सामरिक रूप से सिरमौर यह राष्ट्र सदियो तक क्यो गुलामी का दंश झेलता रहा।
फिर भी इतिहास और वर्तमान के तमाम मतभेदों को क्षीण करते हुए सनातन धर्म में आस्था रखने वाले व्यक्ति को सनातन धर्म को पुष्ट करने एवं एकीकृत होने का प्रयास किया जाना चाहिए।
अपनी धार्मिक सभ्यता और सांस्कृतिक आत्मा को जीवित रखने और उसे समृद्ध करने का अर्थ किसी अन्य धार्मिक विचार को क्षरण करना नही है किंतु आज की राजनीतिक विडंबना है कि कुछ छ्द्म धर्मनिरपेक्ष वादी राजनीतिक दल और पत्रकार आपको कुंठित मानसिकता का शिकार और साम्प्रदायिक ठहरा देते है।
यह ठीक वैसे ही है जैसे कि मैं निःसंदेह प्रत्येक व्यक्ति के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूँ लेकिन अपने स्वयं के अच्छे स्वास्थ्य की कामना नही कर सकता!!!
धर्म अस्तित्व की आत्मा है और अगर आत्मा ही न रहे तो अस्तित्व कहाँ बचेगा।
अगर इस देश में छद्म धर्मनिरपेक्षता के नाम पर किसी एक संस्कृति का क्षरण हुआ है तो वो सिर्फ सनातन संस्कृति है। कुछ राजनीतिक और कथित बुद्धिजीवी वर्ग की अपनी महत्वकांक्षी आकांक्षाओं के चलते सनातन धर्म को आतंक के कटघरे तक मे खड़ा किया गया।
समस्त संसार में सनातन धर्म से श्रेष्ठ सहअस्तित्व का विचारदर्शन और परम्परा कही नही मिलती फिर भी गाली सनातन को ही दी जाती है। क्यो?
मैं इस क्यो के साथ अपनी कलम को यही विराम देता हूँ।
इस क्यो? का उत्तर मेरे लेख की प्रस्तावना से ही शुरू होता है।
✍️Tej
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हमारा देश हमारा स्वाभिमान है। हमारा देश हमारा गौरव है। इस महान राष्ट की अस्मिता और इसके गौरव के लिए लाखों महान सपूतों ने अपना सर्वस्व एवं अपने जीवन की आहुतियां दी है। मेने अपने शब्दों में धर्म, जीवनशैली, परिस्थितियों, निवास आदि को समेटते हुए ग़द्दारों को रेखांकित किया है। जय हिंद जय भारत
✍️ Tej